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Horse Evolution and Domestication (घोड़ा पालन और देखभाल) [ हिंदी डाक्यूमेंट्री ] Part-2

Dislike 0 Published on 29 Jul 2020

Horse Evolution and Domestication (घोड़ा पालन और देखभाल) [ हिंदी डाक्यूमेंट्री ] Part-2

भारत के हर राज्य में घोड़ों का पालन होता है. लेकिन इन्हें पालने में राजस्थान, पंजाब, गुजरात और मणिपुर का नाम सबसे आगे है. इनकी कई नस्लों का मांग भारत के अलावा बाहरी देशों में भी है. भारत में पाए जाने वाले मारवाड़ी, काठियावाडी घोड़े को अव्वल दर्जा प्राप्त है.

घोड़ो की रोचक जानकारी
(1) घोड़ा शाकाहारी जानवर होता है.
(2) घोड़े का जीवनकाल 25 से 30 वर्ष का होता है.
(3) घोड़े का बच्चा जन्म के कुछ ही समय बाद अपने पैरों पर चलने लगता है.
(4) एक वयस्क घोड़े के मुंह में 40 दांत होते है.
(5) एक वयस्क घोड़े के मस्तिष्क का वजन 22 oz होता है जो कि मनुष्य के दिमाग से आधा होता है.
(6) आपको जानकर आश्चर्य होगा कि घोड़े उल्टी नहीं कर सकते है.
(7) घोड़े का पहला क्लोन सन 2003 में इतने में बनाया गया था जिसका नाम “हैफलिंगर मारे” रखा गया था.
(8) वयस्क घोड़े के दिल का वजन लगभग 3 से 4 किलो के बीच में होता है.
(9) घोड़ा अपनी आंख से 360 डिग्री के कोण में देख सकता है.
(10) विश्वभर में घोड़े की 160 से भी ज्यादा नस्लें पाई जाती है.

मनुष्य के पालतू और वफादार पशु घोड़ा की बात करते है। घोडा Horse एक पालतू जानवर है जिसका उपयोग सदियों से मनुष्य करता आया है। घोडा एक पालतू पशु है जिसका उपयोग यातायात के रूप में बहुत समय से किया जा रहा है। करीब 6000 साल पहले घोड़े को पालतू बनाया गया था। घोडा और गधा के पूर्वज एक ही थे।
घोडा पूरी दुनिया मे पाया जाने वाला जानवर है। एक अनुमान के तहत पूरी दुनिया मे 6 करोड़ घोड़े है। ये जानवर कई नस्लो और रंगों में मिलते है जिसमे से अरबी नस्ल सबसे उत्तम मानी जाती है। संसार भर में घोड़े की 160 किस्म पायी जाती है। अरबी नस्ल के अलावा एशियाई घोड़े, अफ्रीकन घोड़े भी प्रमुख नस्ल है।अफ्रीकन घोड़े ज्यादातर जंगलो में पाए जाते है
घोडा Horse एक स्तनपायी जानवर है जिसके चार पैर होते है। घोड़े के पैरों में खुर होते है। घोड़े केवल नाक से ही सांस ले पाते है। घोड़े की आंखे जमीन पर पाये जाने वाले जीवों में सबसे बड़ी होती है। इनकी आंखे 360 डिग्री देखने मे सक्षम होती है लेकिन घोडा इंसानो की तरह फोकस नही कर पाता है। नर घोड़े का जबड़ा उसके दिमाग से भी बड़ा होता है। नर घोडा के मुंह में 40 और मादा के मुंह मे 36 दांत होते है। घोड़ा शाकाहारी प्राणी है जो घास, चना और अनाज खाता है। घोड़ा का आवास अस्तम्बल कहलाता है।
घोडा Horse अपनी तेज गति और फुर्ती के लिए जाना जाता है। घोडा बिना रुके कई घन्टो तक लगातार दौड़ सकता है। घोड़े के दौड़ने की औसत रफ्तार 45 किलोमीटर प्रति घण्टा होती है। घोडा खड़े खड़े ही सो सकता है और नींद में यह गिरता भी नही है। वेसे घोड़े लेटकर भी सौ सकते है। घोडा दांत निकालकर सूंघने की कोशिश करता है।
घोड़े का औसत जीवनकाल 25 से 30 वर्ष होता है। नर घोड़े को स्टेलोन और मादा को Mare कहते है। घोडा का उपयोग व्यापारी सामान ढोने और लादने के लिए करते है।

जंगलों, पहाड़ों और दुर्गम रास्तों पर चलने में घोड़ों से बेहतर कोई नहीं है. आज भी पशुपालन में घोड़ों का स्थान ऊपर है. प्राचीन काल से ही घोड़ें हमारी संस्कृति और सभ्यता के अभिन्न अंग रहे हैं. बदलते हुए समय के साथ यातायात के लिए भले ही गाड़ी-मोटर का उपयोग होने लगा हो, लेकिन घोड़ो के प्रति लोगों का लगाव कम नही हुआ हैं.

मारवाड़ी घोड़ें
इन घोड़ों को आज भी लोग पालना अपनी शान समझते हैं. विशेषकर क्षत्रीय समाज में तो ये बहुत लोकप्रिय है. मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की लम्बाई 130 से 140 सेमी. और ऊँचाई 152 से 160 सेमी तक हो सकती है. इनमें 22 सेमी के चौड़े फेस वाले घोड़ों की विशेष मांग है. आज के समय में इनका इस्तेमाल ज्यादातर खेल प्रतियोगिताओं, सेन्य कार्यों और सरकारी कामों में लिया जाता है. इस नस्ल की घोड़ो की कीमत सामान्य घोड़ों से बहुत अधिक है. एक घोड़े की कीमत कई लाख तक की भी हो सकती है. कहने का तात्पर्य यह है कि इनकी शान किसी कार से कम नहीं है.

कठियावड़ी घोड़े
कठियावाड़ी घोड़ों की की मांग भी बहुत अधिक है. इसका मूल स्थान गुजरात का सौराष्ट्र इलाका रहा है. हालांकि इसको लेकर सभी विद्वानों का मत एक सा नहीं है. यह गुजरात के राजकोट, अमरेली और जूनागढ़ जिलो में पाए जाते हैं. इनका रंग ग्रे और गर्दन अधिक लम्बी होती है. इसका गोदा 147 सेमी. तक ऊंचा हो सकता है.
स्पीती घोड़े

स्पीती घोड़ो को पहाड़ी इलाको के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. ये अधिकतर हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं. पहाड़ी क्षेत्रों पर चलने में इनको महारत हांसिल है. इनकी ऊँचाई आमतौर पर 127 सेमी तक होती है.

ज़नस्कारी घोड़े
बर्फिले रास्तों पर चलने में ज़नस्कारी घोड़े का कोई मुकाबला नहीं है. सेना के जवानों की यह पहली पसंद है. इन घोड़ों को लेह में पाया जाता है. इन घोड़ो का इस्तेमाल अधिकतर बोझा धोने में भी किया जाता है.

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