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बकरी प्रजनन के समय कुछ अहम बातों पर ध्यान ! Goat Breeding

Dislike 0 Published on 4 Mar 2016

Goat Breeding guidance and information in Hindi. This video will help in understanding about Goat Breeding.
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About video- हम आपको बता रहे हैं कि बकरी में गर्भाधान कैसे कराएं ,कौनसे बकरे का और कैसे बकरे का इस्तेमाल करें,इस विषय पर जानकारी दे रहे हैं

बकरी पालकों को बकरी प्रजनन के समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए!

1) ब्लैक बंगाल बकरी का प्रजनन बीटल या सिरोही नस्ल के बकरों से करावें।
2) पाठी का प्रथम प्रजनन 8-10 माह की उम्र के बाद ही करावें।
3) बीटल या सिरोही नस्ल से उत्पन्न संकर पाठी या बकरी का प्रजनन संकर बकरा से करावें।
4) बकरा और बकरी के बीच नजदीकी संबंध नहीं होनी चाहिए।
5) बकरा और बकरी को अलग-अलग रखना चाहिए।
6) पाठी अथवा बकरियों को गर्म होने के 10-12 एवं 24-26 घंटों के बीच 2 बार पाल दिलावें।
7) बच्चा देने के 30 दिनों के बाद ही गर्म होने पर पाल दिलावें।
8) गाभीन बकरियों को गर्भावस्था के अन्तिम डेढ़ महीने में चराने के अतिरिक्त कम से कम 200 ग्राम दाना का मिश्रण अवश्य दें।
9) बकरियों के आवास में प्रति बकरी 10-12 वर्गफीट का जगह दें तथा एक घर में एक साथ 20 बकरियों से ज्यादा नहीं रखें।
10) बच्चा जन्म के समय बकरियों को साफ-सुथरा जगह पर पुआल आदि पर रखें।
11) बच्चा जन्म के समय अगर मदद की आवश्यकता हो तो साबुन से हाथ धोकर मदद करना चाहिए।
12) जन्म के उपरान्त नाभि को 3 इंच नीचे से नया ब्लेड से काट दें तथा डिटोल या टिन्चर आयोडिन या वोकांडिन लगा दें। यह दवा 2-3 दिनों तक लगावें।
13) बकरी खास कर बच्चों को ठंढ से बचावें।
14) बच्चों को माँ के साथ रखें तथा रात में माँ से अलग कर टोकरी से ढक कर रखें।
15) नर बच्चों का बंध्याकरण 2 माह की उम्र में करावें।
16) बकरी के आवास को साफ-सुथरा एवं हवादार रखें।
17) अगर संभव हो तो घर के अन्दर मचान पर बकरी तथा बकरी के बच्चों को रखें।
18) बकरी के बच्चों को समय-समय पर टेट्रासाइकलिन दवा पानी में मिलाकर पिलावें जिससे न्यूमोनिया का प्रकोप कम होगा।
19) बकरी के बच्चों को कोकसोडिओसीस के प्रकोप से बचाने की दवा डॉक्टर की सलाह से करें।
20) तीन माह से अधिक उम्र के प्रत्येक बच्चों एवं बकरियों को इन्टेरोटोक्सिमिया का टीका अवश्य लगवायें।
21) बकरी तथा इनके बच्चों को नियमित रूप से कृमि नाशक दवा दें।
22) बकरियों को नियमित रूप से खुजली से बचाव के लिए जहर स्नान करावे तथा आवास में छिड़काव करें।
23) बीमार बकरी का उपचार डॉक्टर की सलाह पर करें।
24) नर का वजन 15 किलो ग्राम होने पर मांस हेतु व्यवहार में लायें।
25) खस्सी और पाठी की बिक्री 9-10 माह की उम्र में करना लाभप्रद है।

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